HOW BAGLAMUKHI SADHNA CAN SAVE YOU TIME, STRESS, AND MONEY.

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कल्प- द्रुमाधो हेम-शिलां प्रविलसच्चित्तोल्लसत्-कान्तिम् ।

रिपोर्जिह्वां त्रि-शूलं च, पीत-गन्धानुलेपनाम् । पीताम्बर-धरां सान्द्र-दृढ-पीन-पयोधराम् ॥

अर्थात् – विराट् दिशा’ दशों दिशाओं को प्रकाशित करनेवाली, ‘अघोरा’ सुन्दर स्वरूपवाली, ‘विष्णु-पत्नी’ विष्णु की रक्षा करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति, ‘अस्य’ त्रिलोक जगत् की ‘ईशाना’ ईश्वरी तथा ‘सहसः ‘महान् बल को धारण करनेवाली ‘मनोता’ कही जाती है।

१८. ॐ ह्लीं श्रीं खं श्रीभग-मालायै नमः -दक्ष-कर्पूरे (दाएँ हाथ की कोहनी में) ।

नमस्ते बगलां देवीं, शत्रु-वाक्-स्तम्भ-कारिणीम् ।

ॐ ह्लीं बह्मास्त्राय विह्महे हृदयाय नमः

२. ॐ ह्लीं श्रीं आं श्रीस्तम्भिन्यै नमः -मुखे (मुख में) ।

४. ॐ ह्लीं श्रीं ईं श्रीमोहिन्यै नमः-वाम-नेत्रे (बाईं आँख में) ।

वैरि-जिह्वा-भेदनार्थं , छूरिकां विभ्रतीं शिवाम् । पान-पात्रं गदां पाशं, धारयन्ती भजाम्यहम् ।॥

यदि आप माँ more info बगलामुखी साधना के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो नीचे दिये गए लेख पढ़ें –

३७. ॐ ह्लीं श्रीं पं श्रीआकर्षिण्यै नमः– दक्ष-पार्श्वे (दाईं बगल में) ।

‘शतपथ ब्राह्मण’ (३-४-३) में भी इसे इस प्रकार बताया है-

१०. श्रीभगाम्बायै नमः ऐश्वर्य-दात्री-शक्ति को नमस्कार।

ऋषि श्रीदुर्वासा द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

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